Sunday, January 29, 2012

कुछ याद रहा कुछ भूल गयी


कुछ याद रहा कुछ भूल गयी

तेरे आने की खबर सुन ,
क्रोध - मान - तर्क - बहस
कुछ याद रहा  ,कुछ  भूल गयी |

तेरे इंतजार के पल समेटते
हँसना- रोना , सोना - जागना ,
कुछ याद रहा , कुछ भूल गयी |

तेरे कदमों की आहट सुन ,
सुध - बुध अपनी बिसरा कर ,
कुछ याद रहा , कुछ भूल गयी |

तेरे लबों की जुम्बिश देख ,
कही - अनकही - तेरा  - मेरा  ,
कुछ याद रहा  , कुछ भूल गयी |

तेरी आँखों मे लबलबाता  समन्दर देख ,
डूबती - तैरती - थिरकती - इठलाती ,
कुछ याद रहा कुछ भूल गयी |

11 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,पूनम जी,..बहुत खूब...वाह,

    welcome to new post ...काव्यान्जलि....

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  2. खुशी में यही होता, सुंदर रचना!

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  3. पूनम जी बहुत ही सुन्दर कविता

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  4. tere aane kee khabar hee kaafi thee
    jo bhoolnaa chaahiye thaa wo bhool gayaa
    jo yaad rakhnaa thaa wo yaad rahaa

    sundar kavitaa

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  5. याद रखने योग्य याद कर लिया जाना चाहिए और भूल जाने योग्य भूल जाना.....सुन्दर रचना|

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  6. वाह बहुत खूब ...
    पर कुछ यादे और बाते हमेशा अपने साथ रखना

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  7. संवेदनशील रचना अभिवयक्ति......सुन्दर रचना|

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  8. nice poem..

    http://ayodhyaprasad.blogspot.in/

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