Thursday, January 5, 2012

khaas lamha

चंद छोटे से लम्हे के लिए ही सही ,
टूट कर किया मैने तुमसे प्यार |
 गर्म भाप उठी प्याले से चंद पलों के लिए,
दे गयी ताजगी उस वक़्त  |
गोलगप्पे की खटास उस पल में ,
जीभ को करती तुर्श उस क्षण |
हो फिर कुछ पल को ठंडी कुल्फी का
जुबान को सुन्न  करता आभास |
पहाड़ों पर गोल होती सडक का जैसे ,
खत्म हो  जाने का अहसास |
हवा के पलटे रुख के साथ ,
महीन आंचल का सरसराता स्पर्श |
किसी की याद मे भीगते - उलझते ,
बारिश की बूंद से गीले ज़ज्बात |
बाँहों के घेर मे उठी - गिरती ,
एकतार होती धड़कन की सरगम |
बस वही एक पल ...लम्हा ..क्षण..
....... होता है खास ....!!!!!


14 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत नज़्म है.
    उस ख़ास पल का अहसास तमाम उम्र को रौशन किये रखता है .

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  2. Aise kuch Lamhon mein hi jeevan saanse leta hai ... Lajawab likha hai ...

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  3. बहुत खूब कुछ अलग सा.........पेंटिंग बड़ी प्यारी है |

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  4. बहुत सार्थक प्रस्तुति, आभार|

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  5. किसी की याद मे भीगते - उलझते ,
    बारिश की बूंद से गीले ज़ज्बात |
    बाँहों के घेर मे उठी - गिरती ,
    एकतार होती धड़कन की सरगम |

    भावपूर्ण रचना के लिये बधाई !

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ......
    WELCOME to--जिन्दगीं--
    समर्थक बन रहा हूँ आपभी बने मुझे खुशी होगी,....

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  7. bahut bahut shukriyaa ..zarur dheerendra ji ..

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  8. बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......

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  9. यादो में बसा का जी लेने का मन करता है ...हर ऐसे ही लम्हे को

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  10. Poonamji...har lamha behtareen hai...sundar kavita :)

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  11. mann ki bhavnao ko vyakt karti sundar prastuti

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  12. चंद छोटे से लम्हे के लिए ही सही ...

    अच्छी अभिव्यक्ति के लिए बधाई ..

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  13. किसी की याद मे भीगते - उलझते ,
    बारिश की बूंद से गीले ज़ज्बात |
    बाँहों के घेर मे उठी - गिरती ,
    एकतार होती धड़कन की सरगम |
    wah kya khob likha likha hai poonam ji apne ....gahri anubhooti ...badhai

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