यह न कहानी है न किस्सा है ---- मेरे दिल का टूटा हुआ एक हिस्सा है----घंटों बतियाते बरामदे की सीढ़ी पर बैठे ---- चाय के अनगिनत प्याले यूँ ही गटक जाते थे ---- वह मेरा favourit वह नीला कप ---जिस पर था एक बड़ा सा smily --- मुझे चिड़ाने की खातिर पहले ही लपक लेते थे ---- तुम हमेशा उस आखिरी सीढ़ी पे ही बैठा करते थे --जब पूछा तो बोले, क्या करूँ ऊंट सी लम्बी टांगे कहाँ ले जाऊ ----- और मैं हमेशा पहली सीढ़ी पे ---तुमने पूछा नहीं क्यों ---- धूप की किरण जब पत्तों से छन तुम्हारी गर्दन पर गिरती --- वह काला तिल ----दिल का आकार ले लेता था ---- एक किताब हमेशा रहती थी तुम्हारे साथ-- उसे पलटते हुए वही अधलेटे तुम कही खो जाते थे --- कितनी जलन होती थी मुझे उस मुई किताब से --- पर यह क्या पता वह तो बहाना था तुम्हारा वक़्त बिताने का ---- याद है उस दिन जब तुम कहने आए थे -- आज तुम्हारा Interview है ---कितना खुश थे तुम --- अचानक उठते हुए टल्ला लग कप टूट गया ---- ओह !!! सॉरी यह तुम्हारा favourit था--- don 't worry ऐसा ही दूसरा जल्दी ला दूंगा -----जाने दो कप ही तो है --- आज भी वह कप -- मेरी मेज़ पर रखा है-- बिन हत्थे का----टूटा ---बिन मूठ-------
ये तो बताएं कि दूसरा आया कि नहीं?????????
ReplyDelete:-)
arey dusra kya tisra aur chutha bhi aa gya............par purana feka nahi gaya......:))))))))
DeleteBAHUT KHOOB POONAM JI
ReplyDeleteANDAJE PEARTUTI , SHAANDAAR
Very nice, the beauty of this creation is that one line in which the writer says "aur main hamesha pehli sidhi pe --- tumne pucha hi nahi kyu?" Jab hum kuch sawal bin suljhaye chhor dete hai to cheezen zyada khoobsurat ho uthti hai...
ReplyDeleteRegards
टूटने पर दुख होना स्वाभाविक है
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteकुछ चीजें यादें होती हैं .. टूटने पर भी नहीं टूटती ... कप की तरह ...
ReplyDeleteSo beautiful Poonam...got home and went straight to your blog...reading loudly for Vasant. We love your poems:)))
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