Tuesday, July 10, 2012

इंतजार क्यों है ?

ख्वाब में मिलता है जो ख्वाब की तरह ,
बस उसी का इंतजार क्यों है ?
पलता है पलकों मे ओस की बूंद- सा 
खुलते ही पलक धुल जाता है .....
अटक जाता है कभी धूल के कण- सा,
किरकिरी बन सताता है तब ही ......
चमकता है पुतली में तारा सा कभी ,
जुगुनू की तरह टिमटिमता है .....
छिपता है नन्हे बालक की हंसी सा ,
भवों पे किलक किलक जाता है .....
बरसता है चांदनी -सा चारों ओर,
तन - बदन में गर्माहट सी भर जाता है ....
मिलता है जो ख्वाब में , ख्वाब की तरह ,
बस उसी का इंतजार इंतजार क्यों है .............. 

7 comments:

  1. मिलता है जो ख्वाब में , ख्वाब की तरह ,
    बस उसी का इंतजार इंतजार क्यों है .............. इसी को मृगतृष्णा कहते हैं ..शायद ...

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  2. पागल मनवा है......मनमर्जी करता है...क्या करें....

    अनु

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  3. बरसता है चांदनी -सा चारों ओर,
    तन - बदन में गर्माहट सी भर जाता है ....
    मिलता है जो ख्वाब में , ख्वाब की तरह ,
    बस उसी का इंतजार इंतजार क्यों है .......

    इस क्यों का उत्तर आज तक किसी को नहीं मिला .... शायद इसका उत्तर प्रेम के पास हो !

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  4. इंतजार उसी का होता है जो सबसे प्यारा और आँखों का तारा होता है ...

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  5. bahut khoob Poonam...khwaab mein jo milta ha khwaab ki tarah..

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  6. वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है .सुंदर शब्दों का चयन ,बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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