ख्वाब में मिलता है जो ख्वाब की तरह ,
बस उसी का इंतजार क्यों है ?
पलता है पलकों मे ओस की बूंद- सा
खुलते ही पलक धुल जाता है .....
अटक जाता है कभी धूल के कण- सा,
किरकिरी बन सताता है तब ही ......
चमकता है पुतली में तारा सा कभी ,
जुगुनू की तरह टिमटिमता है .....
छिपता है नन्हे बालक की हंसी सा ,
भवों पे किलक किलक जाता है .....
बरसता है चांदनी -सा चारों ओर,
तन - बदन में गर्माहट सी भर जाता है ....
मिलता है जो ख्वाब में , ख्वाब की तरह ,
बस उसी का इंतजार इंतजार क्यों है ..............
मिलता है जो ख्वाब में , ख्वाब की तरह ,
ReplyDeleteबस उसी का इंतजार इंतजार क्यों है .............. इसी को मृगतृष्णा कहते हैं ..शायद ...
पागल मनवा है......मनमर्जी करता है...क्या करें....
ReplyDeleteअनु
sundar ati sundar
ReplyDeleteबरसता है चांदनी -सा चारों ओर,
ReplyDeleteतन - बदन में गर्माहट सी भर जाता है ....
मिलता है जो ख्वाब में , ख्वाब की तरह ,
बस उसी का इंतजार इंतजार क्यों है .......
इस क्यों का उत्तर आज तक किसी को नहीं मिला .... शायद इसका उत्तर प्रेम के पास हो !
इंतजार उसी का होता है जो सबसे प्यारा और आँखों का तारा होता है ...
ReplyDeletebahut khoob Poonam...khwaab mein jo milta ha khwaab ki tarah..
ReplyDeleteवाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है .सुंदर शब्दों का चयन ,बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
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