क्या तुम्हें आंखो की भाषा समझ आती है॥?
नहीं !!!!!
अच्छा तो क्या तुम पढ़ पाते हो मौन के शब्द... ?
नहीं .....!!!
उफ़्फ़ , तो क्या उँगलियों का संवाद ...????
नहीं ...!!!!!!
लो थामो हाथों में मेरा हाथ ,
देखो यह जो दरार है इन उँगलियों के दरमियान ,
ताकि तुम फंसा सको इनमे अपनी उँगलियाँ ......
एकरस हो जाए हो जाए दोनों इन की तरह ,
खत्म हो लकीर जहाँ मेरी ,शुरू हो तेरी वहाँ से,
मिट जाए फर्क तेरी -मेरी लकीरों का............!!!!!!!
नहीं !!!!!
अच्छा तो क्या तुम पढ़ पाते हो मौन के शब्द... ?
नहीं .....!!!
उफ़्फ़ , तो क्या उँगलियों का संवाद ...????
नहीं ...!!!!!!
लो थामो हाथों में मेरा हाथ ,
देखो यह जो दरार है इन उँगलियों के दरमियान ,
ताकि तुम फंसा सको इनमे अपनी उँगलियाँ ......
एकरस हो जाए हो जाए दोनों इन की तरह ,
खत्म हो लकीर जहाँ मेरी ,शुरू हो तेरी वहाँ से,
मिट जाए फर्क तेरी -मेरी लकीरों का............!!!!!!!
एक सी हों दोनों की लकीरें...दोनों की तकदीर...
ReplyDeleteपायें दोनों एक दूजे को....
अनु
khoobsurat ehsas
ReplyDeleteउगलियों को यू फसां,मिटा डाल लकीर,
ReplyDeleteएकरस हो जाओ तो, बन जाये तकदीर,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
हर किसी की ऐसी नेक कोशिशें शायद किसी वक्त ये फर्क मिटा पाएं...खूबसूरत
ReplyDeleteउलझती उँगलियाँ सुलझती पहेलियाँ
ReplyDeleteबेहद सशक्त ... भाव
ReplyDeletedhnyawad
Deleteबहुत ही खूबसूरत ।
ReplyDeleteहाथों का स्पर्श और मौन की भाषा .......वाह उतम ...बहुत खूब
ReplyDeletedhnywad
Deleteअच्छी है।
ReplyDeleteshabdon khamoshi main tairte rahe
ReplyDeleteshabdon ki khamoshi dil main utar gayee
shabdon aur khamoshi main faasla kuch itna tha
ki unmein mujhe koi fark maloom na hua.
Keep them coming Poonam.