मेहंदी की महक उसे बचपन से भाती थी ,
हो किसी की सगाई या शादी ,
मेहंदी लगवाने सबसे पहले पहुँच जाती थी ।
डांट भी खाती, गलियाँ भी पड़ती ,
पर पता नहीं वह अपने को रोक नहीं पाती थी ।
मेहंदी की महक ले जाती उसे बादलों के पार ,
सफ़ेद घोड़े पे बांका सजीला राजकुमार ,
लाल लिबास मे सजी -लदी वह कमसिन दुलहन ,
बहने लगती मंद – मंद सुगंधित बयार ,
देवी – देवताओं का स्वर्ग से झड़ता आशीर्वाद ।
गंगा –यमुना कल –कल करती चरण पखार,
शंख फूंकते झूम -झूम आँगन के पारिजात ,
तारों की होती हर द्वार पे वंदनवार ,
अप्सराएँ और किन्नर गाते शुभ गान,
हर आता – जाता देता खुशियों की सौगात ।
मर गयी कहाँ ए कलमुँही .....सुन ,
टूटी निंद्रा , पड़ी पीठ पे करारी लात,
कमबख्त ये बर्तन क्या तेरा खसम घिसेगा ,
या तेरी अम्मा ने बैठा लिए ,घर पे यार ,
महारानी की अदा देखो तो ज़रा ,
हथेली पे मेहंदी सजा ,समझे है मिल जाएगा राजकुमार ॥
हो किसी की सगाई या शादी ,
मेहंदी लगवाने सबसे पहले पहुँच जाती थी ।
डांट भी खाती, गलियाँ भी पड़ती ,
पर पता नहीं वह अपने को रोक नहीं पाती थी ।
मेहंदी की महक ले जाती उसे बादलों के पार ,
सफ़ेद घोड़े पे बांका सजीला राजकुमार ,
लाल लिबास मे सजी -लदी वह कमसिन दुलहन ,
बहने लगती मंद – मंद सुगंधित बयार ,
देवी – देवताओं का स्वर्ग से झड़ता आशीर्वाद ।
गंगा –यमुना कल –कल करती चरण पखार,
शंख फूंकते झूम -झूम आँगन के पारिजात ,
तारों की होती हर द्वार पे वंदनवार ,
अप्सराएँ और किन्नर गाते शुभ गान,
हर आता – जाता देता खुशियों की सौगात ।
मर गयी कहाँ ए कलमुँही .....सुन ,
टूटी निंद्रा , पड़ी पीठ पे करारी लात,
कमबख्त ये बर्तन क्या तेरा खसम घिसेगा ,
या तेरी अम्मा ने बैठा लिए ,घर पे यार ,
महारानी की अदा देखो तो ज़रा ,
हथेली पे मेहंदी सजा ,समझे है मिल जाएगा राजकुमार ॥
सुन्दर!!!
ReplyDeleteअनु
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ReplyDeleteबहुत मार्मिकता में लिपटा सच परोसा है आपने.....हैट्स ऑफ (हैट्रिक) :-))
ReplyDeletebahut bahut shukriyaa
Deleteखूबसूरती से कामवाली बाई के सपने और उसके दर्द को लिख डाला ....सादर
ReplyDeleteabahar
Deleteसत्य की धरातल में लिखी बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति..
ReplyDeletedhnyawad
Deletekahin rang to kahin berang
ReplyDeleteaapka ashirwad chaiye
Deleteआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteshukriyaa, jarur
Deleteमर गयी कहाँ ए कलमुँही .....सुन ,
ReplyDeleteटूटी निंद्रा , पड़ी पीठ पे करारी लात,
कमबख्त ये बर्तन क्या तेरा खसम घिसेगा ,
या तेरी अम्मा ने बैठा लिए ,घर पे यार ,
महारानी की अदा देखो तो ज़रा ,
हथेली पे मेहंदी सजा ,समझे है मिल जाएगा राजकुमार ॥
कोई संदेह नहीं राजकुमार स्वर्ण रथ पर सवार आएगा ही . हमारा आशीर्वाद है
sadar abhar
Deleteकिसी के दर्द भरे अहसासों को बड़ी खूब शूरती से उकेरा है इस रचना में,,,,बधाई
ReplyDeleteRECENT POST - मेरे सपनो का भारत
abhar...ji jarur
Deletehttp://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_12.html
ReplyDeletebahut bahut abhar
Deleteमन को छूते शब्द के भाव ... उत्कृष्ट लेखन ।
ReplyDeleteदिल से लिखी हुई बातें सीधे दिल में उतरती हुई...| बहुत खूब |
ReplyDeletedhnyawad
Deleteबहुत मार्मिक
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 13-09 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शब्द रह ज्ञे अनकहे .
sabhi rchnaye khubsurat
Deleteबेबाक, सुंदर रचना।
ReplyDeleteवाह क्या बात है बेहद सुन्दर रचना, बहुत-२ बधाई
ReplyDeleteपधारें www.arunsblog.in
shukriyaa..ji zarur
Deleteमार्मिक .. सपने तो हर किसी को आते हैं ... देखना जरूरी भी है ...
ReplyDeleteपर कई बार कठोर धरातल उनको चकना चूर कर देता है ...
sahi kaha
Deleteuff antim lines ne jhakjhor diya pathak ko bhi charitr ko bhi.
ReplyDeletesadar abhar
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
abhar
DeleteBahot badhiya rachna!
ReplyDeleteसुन्दर रचना....
ReplyDeletewow
ReplyDeleteohh marmik..
ReplyDeleteविचारणीय तथा भावपूर्ण प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसपनों के टूटने का दर्द .....
ReplyDeleteवाह वाह वाह हर एक पंक्ति बोलती हुई क्युकी हर एक का सपना यही कहता सबके दिल में एक ही तमन्ना हिलोरे लेती काश मेरे हाथों में भी मेहँदी सजती ....और मेरा राजकुमार मुझे दूर कही ले जाता सुन्दर , सार्थक रचना |
ReplyDeleteबेहद मार्मिक रचना..
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी...