Saturday, September 8, 2012

scene 1-2-3

--- सीन वन ---
सुबह - शाम गली के नुक्कड़ पर,
पानी की लंबी कतार,
आ गया .... आ गया का शोर ,
मच गया घमासान ,
जल्दी करो , पूरा दिन यहीं नहीं बिताना ,
कमज़ात -- हरामखोर -- छिनाल ,
और न जाने क्या क्या का आदान प्रदान ,
बन गया कुरुक्षेत्र ,मच गयी मारकाट ,
लड़ गया आज का हर अभिमन्यु ......

- सीन टू---- 

चलो निकालो किताब ,
सुनाओ कल का पाठ ,
हल करो सवाल ,
रटो व्याकरण ,
लिखो बेमतलबी परिभाषाएँ ,
नापो धरती से समुन्द्र ,
हाथ उठाओ वरना मुर्गा जाओ बन,
समझ मे आए या नहीं ,
दो परीक्षा ,लाओ अव्वल दर्ज़ा ,
पाठ्यक्रम के कुरुक्षेत्र मे ,
भागो आज के अभिमन्यु ..... 

--- सीन थ्री --- 

कोरपरेट दुनिया,
अंधी दौड़,
कुचल एक -दूजे को ,
दिखा नीचा ,
बेच ईमानदारी ,
नंगी महफिले ,
थिरकते जाम ,
सदाचार जला ,
विदशी यात्रा का हो इंतज़ाम ,
जालसाज़ी -ढोंग के कुरुक्षेत्र मे ,
नाच आज के अभिमन्यु ....

6 comments:

  1. सत्य का उद्घाटन बेलाग खुबसूरत बेझिझक बहुत खूब

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  2. sundar chitran kiya hai ,,,,,,badhai Poonm ji

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  3. सारे सीन यतार्थपरक हैं.....बहुत ही सुन्दर।

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