पूरे चाँद की आधी रात
पूरे चाँद की आधी रात
पिघलता मन ,सुलगते एहसास ,तेरो आंखो की बिल्लोरी चमक ,मेरे कंगन की जादुई खनक ,उफ़्फ़ ...उफ़्फ़ यह पूरे चाँद की आधी रात , धुत्त लम्हे ,
मौन जज़्बात ,
तेरे आगोश मे पिघलती मै,
मेरी खुशबू से गमकते तुम ,
उफ़्फ़ - उफ़्फ़ यह पूरे चाँद की आधी रात
गहन प्रेम की सुन्दर अनुभूति लिए
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना..
:-)
दीवाना बना के रख देगी ये पूरे चाँद की आधी रात...
ReplyDeleteअनु
पिघलता मन ,
ReplyDeleteसुलगते एहसास ,
उफ़्फ़ - उफ़्फ़ यह पूरे चाँद की आधी रात,,,,
प्रेम और अनुभूति की बेजोड़ प्रस्तुति,,,,,
recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहि
ReplyDeleteये पूरे चाँद की आधी रात...क्या बात है..? बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधुत्त लम्हे ,
ReplyDeleteमौन जज़्बात ,
तेरे आगोश मे पिघलती मै,
मेरी खुशबू से गमकते तुम ,
उफ़्फ़ - उफ़्फ़ यह पूरे चाँद की आधी रात
बहुत सुन्दर
शीर्षक की मनमोहक है - पूरे चाँद की आधी रात
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ।