आ बैठ पास, कुछ खामोशी पढ़ ले ,
ले हाथ , हाथों के दरमिया ,इन लकीरों को सुन ले ,
हो सके तो, छु इन पलकों को ,यह नमी चख ले ,
यह देख इन काजल की स्याह - धुंधली लकीरों मे ,
तेरी इबादत मे लिखी आयतों -सा कुछ बहता है ,
आ , ज़रा इन को बुदबुदा बार - बार ,
अपनी साँसों मे भर निर्मल कर दे ,
न हमसफर, न हम साया है तू ,
कैसे कहूँ ,आ इन कदमों से मिला कदम ,
आज तू भी एक छोटा सा गुनाह कर ले ,
एक पल दे, आ एक पल जी ले ....
एक पल ले, जा एक पल जी ले ..
ले हाथ , हाथों के दरमिया ,इन लकीरों को सुन ले ,
हो सके तो, छु इन पलकों को ,यह नमी चख ले ,
यह देख इन काजल की स्याह - धुंधली लकीरों मे ,
तेरी इबादत मे लिखी आयतों -सा कुछ बहता है ,
आ , ज़रा इन को बुदबुदा बार - बार ,
अपनी साँसों मे भर निर्मल कर दे ,
न हमसफर, न हम साया है तू ,
कैसे कहूँ ,आ इन कदमों से मिला कदम ,
आज तू भी एक छोटा सा गुनाह कर ले ,
एक पल दे, आ एक पल जी ले ....
एक पल ले, जा एक पल जी ले ..
Tusi Great Ho Ji,
ReplyDeleteAapka Andaje bayan Bahut hi Prabhavsheel Hai,
Har Baar Kii Tarah Shaandaar
कैसे कहूँ ,आ इन कदमों से मिला कदम ,
ReplyDeleteआज तू भी एक छोटा सा गुनाह कर ले ,,,,बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST बदनसीबी,
कैसा है, क्या है, क्यों है ये किसी के भी सवालों का हल नहीं |
ReplyDeleteबात ये है कि आपकी रचना को नज़र अंदाज़ करना कैसे भी सरल नहीं .. !!
बहुत सुंदर !!
बहुत बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteखूबसूरत नम ...एक पल का जीना ... बहुत खूब ...
ReplyDeletebahut sunder bhav.
ReplyDeleteलाजवाब और खूबसूरत प्रस्तुति | बधाई
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत ही सुंदर रचना है...
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