Monday, February 11, 2013

तेरा नाम

कुछ कहीं टूटा ,
न आवाज़ ,
न शोर ,
फिर भी टूटा तो सही ॥ 
बंद थी पलकें ,
भिंची हुई कस के 
फिर भी बहा तो सही ॥ 
रोका बहुत ,
संभाला बहुत ,
सिरहाने तले दबा था जो ,
करवटों से सलवटों पे ,
फिर भी तेरा नाम पसरा ....

4 comments:

  1. कुछ कहीं टूटा ,
    न आवाज़ ,
    न शोर ,
    फिर भी टूटा तो सही ॥
    बंद थी पलकें ,
    भिंची हुई कस के
    फिर भी बहा तो सही ॥
    रोका बहुत ,
    संभाला बहुत ,
    सिरहाने तले दबा था जो ,
    करवटों से सलवटों पे ,
    फिर भी तेरा नाम पसरा ....

    अद्भुत मन की गहराई तक उतरनेवाली रचना के लिए आभार . निःशब्द

    ReplyDelete