पता है न तुम्हें ,
कभी एक पल होता है जिंदगी से भी लंबा ....
और पूरी जिंदगी एक पल से भी छोटी।
पता है न तुम्हें ,
रोज़ सुबह मांगते हो मरने की दुआएं ,
और दोवारों पे लहकती परछाइयों से कांप जाते हो ॥
पता है न तुम्हें ,
भूख लाती है आँखों मे चमक ,
पर गले को खुश्क कर जाती है ।
पता है न तुम्हें बोलते हो आँसू ,
पर होठ चिपक जाते हो ।
पता है न तुम्हें ,
यह दिल है इस्पात से भी मजबूत ,
अरमान बुलबुले सा नाज़ुक ..... पता है ...पता है न तुम्हें ....
कभी एक पल होता है जिंदगी से भी लंबा ....
और पूरी जिंदगी एक पल से भी छोटी।
पता है न तुम्हें ,
रोज़ सुबह मांगते हो मरने की दुआएं ,
और दोवारों पे लहकती परछाइयों से कांप जाते हो ॥
पता है न तुम्हें ,
भूख लाती है आँखों मे चमक ,
पर गले को खुश्क कर जाती है ।
पता है न तुम्हें बोलते हो आँसू ,
पर होठ चिपक जाते हो ।
पता है न तुम्हें ,
यह दिल है इस्पात से भी मजबूत ,
अरमान बुलबुले सा नाज़ुक ..... पता है ...पता है न तुम्हें ....
haits off for this :-
ReplyDeleteरोज़ सुबह मांगते हो मरने की दुआएं ,
और दोवारों पे लहकती परछाइयों से कांप जाते हो ॥
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-03-2013) के चर्चा मंच 1186 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteपता है न तुम्हें ,
ReplyDeleteभूख लाती है आँखों मे चमक ,
पर गले को खुश्क कर जाती है ।
पता है न तुम्हें बोलते हो आँसू ,
पर होठ चिपक जाते हो ।
पता है न तुम्हें ,
यह दिल है इस्पात से भी मजबूत ,
अरमान बुलबुले सा नाज़ुक .
दिल के पन्नों को पलटती खुबसूरत भाव
बहुत खूब....
ReplyDeleteपता हो कर भी कुछ पता नहीं है...
पता नहीं होता परन्तु यह दिल" कुसुम से भी कोमल और बज्र से भी कठोर" होता है .
ReplyDeletelatest postऋण उतार!