Friday, March 15, 2013

पता है न तुम्हें ,

पता है न तुम्हें ,
कभी एक पल होता है जिंदगी से भी लंबा .... 
और पूरी जिंदगी एक पल से भी छोटी। 
पता है न तुम्हें ,
रोज़ सुबह मांगते हो मरने की दुआएं ,
और दोवारों पे लहकती परछाइयों से कांप जाते हो ॥ 
पता है न तुम्हें ,
भूख लाती है आँखों मे चमक ,
पर गले को खुश्क कर जाती है । 
पता है न तुम्हें बोलते हो आँसू ,
पर होठ चिपक जाते हो ।
पता है न तुम्हें ,
यह दिल है इस्पात से भी मजबूत ,
अरमान बुलबुले सा नाज़ुक ..... पता है ...पता है न तुम्हें ....

5 comments:

  1. haits off for this :-

    रोज़ सुबह मांगते हो मरने की दुआएं ,
    और दोवारों पे लहकती परछाइयों से कांप जाते हो ॥

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-03-2013) के चर्चा मंच 1186 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  3. पता है न तुम्हें ,
    भूख लाती है आँखों मे चमक ,
    पर गले को खुश्क कर जाती है ।
    पता है न तुम्हें बोलते हो आँसू ,
    पर होठ चिपक जाते हो ।
    पता है न तुम्हें ,
    यह दिल है इस्पात से भी मजबूत ,
    अरमान बुलबुले सा नाज़ुक .

    दिल के पन्नों को पलटती खुबसूरत भाव

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  4. बहुत खूब....
    पता हो कर भी कुछ पता नहीं है...

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  5. पता नहीं होता परन्तु यह दिल" कुसुम से भी कोमल और बज्र से भी कठोर" होता है .
    latest postऋण उतार!

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