Thursday, April 18, 2013

जिद्दी

मेरा अकेलापन बहुत जिद्दी है ,
नन्हे बालक की तरह ,
पल भर को बहल जाता है ,
माटी के खिलौने से |
फिर चिपक जाता है मुझसे ,
हवा में तैरते रोयों की तरह ,
जो होते हुए  भी नहीं दिखता|
हजारों की भीड़ मे भी रहता है ,
हमेशा मेरे बहुत  आस -पास |
भीतर कहीं दबा - दबा ,
उभर आता है अचानक ,
हड्डियों में जमे दर्द की तरह,
टीस, वेदना और सालता है मुझे |
यही दर्द बन जाता है दवा भी ,
भावों का रूप ले ...
कविता बन बह जाता है |

4 comments:

  1. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  2. आज हर व्यक्ति का अकेलापन भीड़ में भी उसके साथ रहता है -बढ़िया रचना
    latest post तुम अनन्त

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  3. दर्द कविता को जनम देता है !

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  4. भीतर कहीं दबा - दबा ,
    उभर आता है अचानक ,
    हड्डियों में जमे दर्द की तरह,
    टीस, वेदना और सालता है मुझे |
    यही दर्द बन जाता है दवा भी ,
    भावों का रूप ले ...
    कविता बन बह जाता है |

    दिल के करीब दिल से जुडी भावनाएं ....

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