Monday, June 10, 2013

उफ़्फ़ - उफ़्फ़ ये जिंदगी ....उफ़्फ़.

शीशे के किरचों पे चलती जिंदगी ,
बूंद - बूंद - तरसाती ये जिंदगी ,
कोरों से निकल ढुलकती जिंदगी ,
छोटी तो कभी सदियों सी जिंदगी ,
नाचती - नचाती देवदासी सी जिंदगी ,
न तेरी न मेरी बाजारू हुई ये जिंदगी ,
हल्का - गहरा खुमार है जिंदगी ,
तेरा नशा है मुझे जिंदगी ,
उफ़्फ़ - उफ़्फ़ ये जिंदगी ....उफ़्फ़..... !!!!!

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .

    ReplyDelete
  2. .इस सुन्दर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई.

    recent post : मैनें अपने कल को देखा,

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.

    ReplyDelete
  4. जिंदगी फिर भी है जिंदगी ...
    खूबसूरत रचना ...

    ReplyDelete
  5. फिर भी खूबसूरत है जिंदगी....

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर, अच्छी रचना

    मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
    हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html

    ReplyDelete
  7. वाह.......अति सुन्दर ......

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर रचना , शुभकामनाये

    ReplyDelete