Thursday, July 4, 2013

.सबसे जुड़ी मै

वह भी मेरा हिस्सा है,
मै भी उसका किस्सा हूँ ,
जब जब होता है किसी पे वार ,
दामन मेरा भी छीज जाता है ..... 
वह लुटती है गली - गलियारों मे ,
घर का आँगन मुझे लील जाता है ,
उसकी अस्मत की हर चोट ,
मेरे सीने को करती लहूलुहान ,
माना कि मै वो नहीं पर उससे जुदा भी नहीं ,
जुड़ी हूँ तेरे से मानो तेरा ही पुर्ज़ा हूँ ,
तेरे आँसू मेरी आँखों से बरसते है ,
तेरा दर्द मेरी आहों को गहराता है ,
खंडित होती गर तू , बिखर मै भी जाती हूँ ,
नारी हूँ ..... आग हूँ ....पानी हूँ....
शक्ति हूँ ...मर्यादा हूँ .....धरा हूँ ...अवनी ...भू ....हूँ ...सबसे जुड़ी मै ............!!!

6 comments:

  1. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति , बहुत शुभकामनाये


    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/01/yaadain-yad-aati-h.html

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  2. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  3. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

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  4. सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति

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  5. बहुत बहुत सुन्दर ।

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