दिल के परदों मे जो बंद है,
स्मृति का खज़ाना .......
मेरा है सिर्फ मेरा .....
माफ करो नहीं बाँट सकती ,
खुदगर्ज़ ...स्वार्थी या मतलबी ,
जो भी कहो ...कुछ भी कहो ,
फरवरी की धूप सा .....
हल्का .... सौंधा ...कुनकुना ...
लपेट लेता है मुझे ,
तेरी बाहों की गर्माहट सा........
स्मृति का खज़ाना .......
मेरा है सिर्फ मेरा .....
माफ करो नहीं बाँट सकती ,
खुदगर्ज़ ...स्वार्थी या मतलबी ,
जो भी कहो ...कुछ भी कहो ,
फरवरी की धूप सा .....
हल्का .... सौंधा ...कुनकुना ...
लपेट लेता है मुझे ,
तेरी बाहों की गर्माहट सा........
supereb behtreen
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: गुजारिश,
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [08.07.2013]
ReplyDeleteचर्चामंच 1300 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
bahut bahut abhar
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ReplyDeleteबहुत सुंदर, आभार
यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html
sunder prastuti.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteयादें यादें यादें ... सिर्फ अपने अलेलेपन की साथी रहें तब तक ही ठीक रहता है ...
ReplyDeleteस्मृतियाँ कोई छीन भी नहीं सकता. सुंदर भाव सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteस्मृतियां अक्सर हमें लपेट लेती हैं अपने मे । सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
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