Monday, August 12, 2013

बार - बार हर बार वही सवाल

कभी तो ऐसा था तुम सब जान जाती थी ,
मेरे आने से पहले मेरी आहट पहचान जाती थी,
अब क्यो पूछती हो बार - बार , हर बार वही सवाल ,
तू खुश तो है न ? सब ठीक हे न ?
हाँ , अम्मा , बहुत , बहुत से भी ज़्यादा बहुत ,
सारी सुख - सुविधाओं से भरपूर ,
गहने बनवाती , हुकुम चलाती,
रानी - महरानियों सा ठसका ,
पूरे परिवार का लबालब प्यार ,
तेरी बिट्टों का चलता है राज़,
तू तो स्वर के आरोह - अवरोह को जान जाती थी ,
बिन पकड़े ही नब्ज़ का ताप जानती थी ,
अम्मा , अब क्या हुआ भूल गई क्या ?
फिर भी करती है वही सवाल ,
जानती नहीं या करती है बहाना ,
बेकार ही इतिहास का दोहराना ,
बार - बार हर बार वही सवाल ........

7 comments:

  1. अम्मा , अब क्या हुआ भूल गई क्या ?
    फिर भी करती है वही सवाल ,
    जानती नहीं या करती है बहाना ,
    बेकार ही इतिहास का दोहराना ,
    बार - बार हर बार वही सवाल ........

    बहुत सुंदर उम्दा पोस्ट ,,,

    RECENT POST : जिन्दगी.

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  2. बहुत उम्दा भाव

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  3. खुबसूरत प्रस्तुती......

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  4. " क्यों इस तरह मुस्कुरा रहे हो क्या गम है जिसको छुपा रहे हो ? " मॉं से कुछ भी छिपाना आसान नहीं है इसीलिए श्रुतियों ने गाया है - " मातृदेवो भव । "

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  5. वाह बहुत बढ़िया । गहन, सुन्दर , शानदार |

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  6. खुबसूरत प्रस्तुती********

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