Tuesday, August 20, 2013

याद दिलाती राखी


धागा कच्चा हो या पक्का ,
चमकीली हो या फीकी ,
कीमत नहीं प्यार के मेरी ,
भाई भेज रही हूँ वेब से राखी .... 
बचपन की याद है,
शरारतों की बरसात है ,
पतंग का माँझा ,लट्टू की डोर ,
माँ की धमकी, पापा की डांट,
उन सभी की याद दिलाती राखी ,
मेरी मांगो की लंबी लिस्ट ,
तेरे वादो की लंबी फेहरिस्त ,
कुछ पूरी , कुछ अधूरी ,
थोड़ा रूठना थोड़ा मनाना,
रोना - झिकना फिर खिलखिलाना ,
जाने क्या - क्या याद दिलाती राखी ,
साइकिल पर बैठा गली का फेरा ,
चोरी से बर्फ का गोला खाना ,
पूरी रात वी सी आर पर पिक्चर ,
टिनटिन और फ़ेन्टम की छीनाझपटी ,
बार - बार याद दिलाती यह राखी ....

9 comments:

  1. Behad sundar..aankh bhar aayi..pichhale maah apne sabse chhote bhaiko achanak kho diya...wo jo rakshabandhan kabhi nahi bhoolta aur ek bhai hai jo ek phone bhi nahi karta..aah!

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  2. शुभ सन्देश भेजती बचपन के यादों संग राखी बहुत खूब पूनम जी रक्षा बंधन की शुभकामना

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  3. बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना.....

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  4. धागा कच्चा हो या पक्का ,
    चमकीली हो या फीकी ,
    कीमत नहीं प्यार के मेरी ,
    भाई भेज रही हूँ वेब से राखी ....

    प्यारी रचना.....

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  5. सुंदर रचना , राखी की ढेरो शुभकामनाये

    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_6131.html

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  6. पुरानी यादें समेटे भावपूर्ण रचना |

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  7. bahut khubsurat rachna hai,badhai.

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