धागा कच्चा हो या पक्का ,
चमकीली हो या फीकी ,
कीमत नहीं प्यार के मेरी ,
भाई भेज रही हूँ वेब से राखी ....
बचपन की याद है,
शरारतों की बरसात है ,
पतंग का माँझा ,लट्टू की डोर ,
माँ की धमकी, पापा की डांट,
उन सभी की याद दिलाती राखी ,
मेरी मांगो की लंबी लिस्ट ,
तेरे वादो की लंबी फेहरिस्त ,
कुछ पूरी , कुछ अधूरी ,
थोड़ा रूठना थोड़ा मनाना,
रोना - झिकना फिर खिलखिलाना ,
जाने क्या - क्या याद दिलाती राखी ,
साइकिल पर बैठा गली का फेरा ,
चोरी से बर्फ का गोला खाना ,
पूरी रात वी सी आर पर पिक्चर ,
टिनटिन और फ़ेन्टम की छीनाझपटी ,
बार - बार याद दिलाती यह राखी ....
Behad sundar..aankh bhar aayi..pichhale maah apne sabse chhote bhaiko achanak kho diya...wo jo rakshabandhan kabhi nahi bhoolta aur ek bhai hai jo ek phone bhi nahi karta..aah!
ReplyDeleteशुभ सन्देश भेजती बचपन के यादों संग राखी बहुत खूब पूनम जी रक्षा बंधन की शुभकामना
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना.....
ReplyDeleteधागा कच्चा हो या पक्का ,
ReplyDeleteचमकीली हो या फीकी ,
कीमत नहीं प्यार के मेरी ,
भाई भेज रही हूँ वेब से राखी ....
प्यारी रचना.....
abahr
Deleteखुबसूरत रचना.
ReplyDeletelatest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
latest post नेता उवाच !!!
सुंदर रचना , राखी की ढेरो शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_6131.html
पुरानी यादें समेटे भावपूर्ण रचना |
ReplyDeletebahut khubsurat rachna hai,badhai.
ReplyDelete