सुनो , वो तुम ही थे न
जो जीते - मरते थे मेरे लिए ,
कहते, जीता हूँ बस तेरे लिए ,
मेरी साँसो का हर तार जुड़ा है तुझसे ,
मेरी धड़कन का हर साज बस तेरे लिए ,
मेरी नज़रों की रोशनाई है तू ,
मेरे जीने का वजह है तू ......
एक बार नहीं , बार यही कहते थे ....कहते थे न ?
आज .....
ज़िंदा है जिस्म ,
मुर्दा गयी है रूह ,
क्यों नहीं आते तुम,
कहने वही बार - बार .......
मैं शायद जी जाऊँ ,
आ जाए कुछ जान ,
अटकी है मुट्ठी भर साँसे ,
बस तेरा ही है इंतज़ार .......
कह दो फिर से वही जो कहते थे बार - बार .......
जो जीते - मरते थे मेरे लिए ,
कहते, जीता हूँ बस तेरे लिए ,
मेरी साँसो का हर तार जुड़ा है तुझसे ,
मेरी धड़कन का हर साज बस तेरे लिए ,
मेरी नज़रों की रोशनाई है तू ,
मेरे जीने का वजह है तू ......
एक बार नहीं , बार यही कहते थे ....कहते थे न ?
आज .....
ज़िंदा है जिस्म ,
मुर्दा गयी है रूह ,
क्यों नहीं आते तुम,
कहने वही बार - बार .......
मैं शायद जी जाऊँ ,
आ जाए कुछ जान ,
अटकी है मुट्ठी भर साँसे ,
बस तेरा ही है इंतज़ार .......
कह दो फिर से वही जो कहते थे बार - बार .......
great, awesome.....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत और भाव पूर्ण
ReplyDeleteshukriya
Deletebas intzaaar :)
ReplyDeletekhubsurat...
shukriya
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |
ReplyDeleteमैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003
abhar
Deleteये समय की चाल है या बेवफाई ...
ReplyDeleteमन के जज्बात की आंधी पूछती है बार बार ...
shukriya
Deleteबहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!
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