वह छोटी सी चिड़िया ,
एकांत की तलाश में , दूर बहुत निकल गयी |
शीतल ताल ,
सुनहरा आकाश ,
ऊँचा पहाड़ ,
पाकर वही बस गयी |
आबादी का कोलाहल ,
रिश्ते का धूयाँ ,
यादों की मिट्टी,
को वह अब तरस गयी |
पलकों का गीलापन ,
होठों की हंसी ,
दिल की चाहत ,
सपनों की दुनिया बन गयी |
.........इति ...........
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