आज़ादी फिर तुझे याद किया ,
तिरेंगे आज फिर तुझे सलाम किया |
हर ईमारत पर तुझे बुलंद किया ,
हर साल की तरह फिर तेरा जशन मनाया |
तुझे एक कोने में रख बाद में भुलाया,
तुझमे ही लपेट कर एक -दूसरे को घूस खिलाया |
तेरे नाम की जपते - जपते माला ,
हमने तो अपना घर भर डाला |
आज़ादी का मतलब खुल कर मांगों ,
खुल कर खायो और खिलायो |
गरीबी , बेकारी, भुखमरी अब तेरी सहेली है ,
जी रहा कैसे इन्सान यह एक पहेली है |
हर कोई अधिकारों के नारे लगता है ,
फ़र्ज़ को जेब में रख कर भूल जाता है |
इंडिया shinning , incredible इंडिया ,
सिर्फ टी वी पर दिखाई देते हैं |
आज भी मानव रोटी के लिए एक दूसरे से ही लड़ जाता है |
पंचवर्षीय योजना द्रौपदी के चीर सी बड़ जाती है ,
पर विलासी दुर्योधन की भूख नहीं मिट पाती है |
भाषा ,प्रान्त ,धर्म सभी में कोई न कोई मनमुटाव है ,
बुत बना है देश , जिसका न कोई माज़ी न रहनुमार है |
सब बनाना चाहते हैं अपनी - अपनी अलग पहचान ,
कैसे गाऊँ मैं " मेरा भारत महान ....मेरा भारत महान ......"
तिरेंगे आज फिर तुझे सलाम किया |
हर ईमारत पर तुझे बुलंद किया ,
हर साल की तरह फिर तेरा जशन मनाया |
तुझे एक कोने में रख बाद में भुलाया,
तुझमे ही लपेट कर एक -दूसरे को घूस खिलाया |
तेरे नाम की जपते - जपते माला ,
हमने तो अपना घर भर डाला |
आज़ादी का मतलब खुल कर मांगों ,
खुल कर खायो और खिलायो |
गरीबी , बेकारी, भुखमरी अब तेरी सहेली है ,
जी रहा कैसे इन्सान यह एक पहेली है |
हर कोई अधिकारों के नारे लगता है ,
फ़र्ज़ को जेब में रख कर भूल जाता है |
इंडिया shinning , incredible इंडिया ,
सिर्फ टी वी पर दिखाई देते हैं |
आज भी मानव रोटी के लिए एक दूसरे से ही लड़ जाता है |
पंचवर्षीय योजना द्रौपदी के चीर सी बड़ जाती है ,
पर विलासी दुर्योधन की भूख नहीं मिट पाती है |
भाषा ,प्रान्त ,धर्म सभी में कोई न कोई मनमुटाव है ,
बुत बना है देश , जिसका न कोई माज़ी न रहनुमार है |
सब बनाना चाहते हैं अपनी - अपनी अलग पहचान ,
कैसे गाऊँ मैं " मेरा भारत महान ....मेरा भारत महान ......"
No comments:
Post a Comment