क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
भोर की सुनहरी धूप में,
कली का हौले से चट्खना ,
धीरे - धीरे पंखुरियों का खिल जाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
घास पर लेटे- लेटे ,
आकाश में स्याह -सफ़ेद बादलों में ,
हाथी- घोड़े आदि का बनाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
खिली चटक चांदनी में ,
अधमुंदी- नशीली पलकों पर,
हलके - नर्म सपने सजाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
पेड़ से सूखे- पीले पत्ते का ,
हवा में तिरते -तिरते ,
नजाकत से ज़मीन को छू जाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है................?
भोर की सुनहरी धूप में,
कली का हौले से चट्खना ,
धीरे - धीरे पंखुरियों का खिल जाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
घास पर लेटे- लेटे ,
आकाश में स्याह -सफ़ेद बादलों में ,
हाथी- घोड़े आदि का बनाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
खिली चटक चांदनी में ,
अधमुंदी- नशीली पलकों पर,
हलके - नर्म सपने सजाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
पेड़ से सूखे- पीले पत्ते का ,
हवा में तिरते -तिरते ,
नजाकत से ज़मीन को छू जाना |
क्या तुमने कभी महसूस किया है................?
khoobsoorat ahsas ..
ReplyDelete"क्या तुमने कभी महसूस किया है ,
ReplyDeleteघास पर लेटे- लेटे ,
आकाश में स्याह -सफ़ेद बादलों में ,
हाथी- घोड़े आदि का बनाना"
खूबसूरत एहसास...
एकदम मासूम सा सवाल..
बचपन की याद ताज़ा है अभी भी ज़ेहन में...
bahut bahut shukriya.......
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