Sunday, September 2, 2012

औरत जात

अव्वल दर्जा , सुंदर रंग -रूप , 
घर - बाहर का तालमेल ,
चक्र घिन्नी से बंधे पाँव ,
नहीं कम किसी से पर ,
फिर भी क्यों सुनना पड़ता है ,
साबित करो...

अपनी कोख को खुद ही बांधा,
मेरा खुद का निर्णय ,
मुझे है स्वीकार ,
फिर भी सुनना पड़ता है ,
खुदगर्ज़....

जो खोया मैने, 
मेरा था ,किसी अन्य को हो, क्यों कर एतराज़ ,
हाँ - हाँ भरने चाहे सपनों मे रंग ,
न थी कमी मेरी उड़ान मे ,
न थी पंखों की ताकत कम ,
पर जब भी छूना चाहा आकाश ,
सुनना पड़ा हर बार ,बार -बार,
... औरत जात......!!!

8 comments:

  1. हम्म्म्म.........
    सच है...असुंदर है....

    सार्थक रचना.
    अनु

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  2. जो खोया मैने,
    मेरा था ,किसी अन्य को हो, क्यों कर एतराज़ ,
    हाँ - हाँ भरने चाहे सपनों मे रंग ,
    न थी कमी मेरी उड़ान मे ,
    न थी पंखों की ताकत कम ,
    पर जब भी छूना चाहा आकाश ,
    सुनना पड़ा हर बार ,बार -बार,
    ... औरत जात......!!!
    बहुत ही अच्छी कविता |आभार

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  3. जो खोया मैने,
    मेरा था ,किसी अन्य को हो, क्यों कर एतराज़ ,
    हाँ - हाँ भरने चाहे सपनों मे रंग ,
    न थी कमी मेरी उड़ान मे ,
    न थी पंखों की ताकत कम ,
    पर जब भी छूना चाहा आकाश ,
    सुनना पड़ा हर बार ,बार -बार,
    ... औरत जात......!!!

    बहुत खूब,,,,,सार्थक सशक्त अभिव्यक्ति,,,,
    RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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  4. great lines, amazing words

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  5. जो खोया मैने,
    मेरा था ,किसी अन्य को हो, क्यों कर एतराज़ ,
    हाँ - हाँ भरने चाहे सपनों मे रंग ,
    न थी कमी मेरी उड़ान मे ,
    न थी पंखों की ताकत कम ,
    पर जब भी छूना चाहा आकाश ,
    सुनना पड़ा हर बार ,बार -बार,
    ... औरत जात......!!!.......... और मायूस क्षणांश के लिए पंख शिथिल हो गए

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  6. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
    और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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