Sunday, February 24, 2013

कमबख्त मुझे भी हो जाता है ।♥

प्यार अक्सर गाहे - बाहे छू कर निकल जाता है,
कभी गालिब के शेरों मे या तोता - मैना के किस्सों मे ,
रफी की दिलकश आवाज़ मे या लता की सुरलहरी मे ,
गुलज़ार के रोमानी शब्दों मे या अख्तर साहब के जादुई कलाम मे ,
गुनगुनाते हुये या पढ़ते हुये ,इतना तारतम्य हो जाता है ,
प्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है , 
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ।♥ ♥

6 comments:

  1. प्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
    पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ,
    पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.

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  2. प्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
    पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ,

    लाजवाब पंक्तियाँ ...

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  3. कमबख्त छुट की बीमारी है ,कभी होते देख
    तो कभी औरों को करते देख हो जाता है;
    latest postमेरी और उनकी बातें

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  4. पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है,,,,,इस बीमारी का नाम प्यार है ,,,,

    Recent Post: कुछ तरस खाइये

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  5. ऐ काश किसी दीवाने को
    हमसे भी मुहब्बत हो जाये....!

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