प्यार अक्सर गाहे - बाहे छू कर निकल जाता है,
कभी गालिब के शेरों मे या तोता - मैना के किस्सों मे ,
रफी की दिलकश आवाज़ मे या लता की सुरलहरी मे ,
गुलज़ार के रोमानी शब्दों मे या अख्तर साहब के जादुई कलाम मे ,
गुनगुनाते हुये या पढ़ते हुये ,इतना तारतम्य हो जाता है ,
प्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ,
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ।♥ ♥
कभी गालिब के शेरों मे या तोता - मैना के किस्सों मे ,
रफी की दिलकश आवाज़ मे या लता की सुरलहरी मे ,
गुलज़ार के रोमानी शब्दों मे या अख्तर साहब के जादुई कलाम मे ,
गुनगुनाते हुये या पढ़ते हुये ,इतना तारतम्य हो जाता है ,
प्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ,
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ।♥ ♥
yahi to khasiyat hai prem ki
ReplyDeleteप्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
ReplyDeleteपर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ,
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
प्यार होता किसी और का है , करता कोई और है ,
ReplyDeleteपर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है ,
लाजवाब पंक्तियाँ ...
कमबख्त छुट की बीमारी है ,कभी होते देख
ReplyDeleteतो कभी औरों को करते देख हो जाता है;
latest postमेरी और उनकी बातें
पर हर बार कमबख्त मुझे भी हो जाता है,,,,,इस बीमारी का नाम प्यार है ,,,,
ReplyDeleteRecent Post: कुछ तरस खाइये
ऐ काश किसी दीवाने को
ReplyDeleteहमसे भी मुहब्बत हो जाये....!