Tuesday, January 25, 2011

dhup sardiyo ki

नरम , मखमली ,
आंचल के कोने सी ,
लहरा जाती है सर्दियों की धूप |
नन्हें बालक की ,
मासूम हँसी सी ,
गुदगुदा जाती है सर्दियों की धूप |
रूमानी अहसास सी ,
हौले - हौले से ,
छू जाती है सर्दियों की धूप |
नयी नवेली वधू की ,
लजीली चितवन सी ,
रोमांचित कर जाती है सर्दियों की धूप |
प्रेमी की याद की ,
हल्की छुअन सी ,
सहरा जाती है सर्दियों की धूप |

2 comments:

  1. सर्दियां जा रही हैं ,पर आप की कविता ने सर्दियों की धूप के अहसास को फिर महसूस करवा दिया.
    गुलज़ार साहिब का गाना याद करवा दिया आपने. .........दिल ढूंढता है......

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