दो - चार सांसे हम भी लेलेते हैं ,
हल्का सा दुःख हो तो रो लेते है ,
न मिले मर्ज़ी का तो झल्ला जाते हैं ,
हो मर्ज़ी का तो हँस लेते हैं ,
कभी दावत - कभी उत्सव ,
हम भी शामिल हो लेते हैं ..
नहीं सह पाते कष्ट - विघ्न ,
ईश्वर की शरण ले लेते हैं ,
नही टली जो मुसीबत ,
उसको ही दोषी कह लेते हैं...
उसकी मर्ज़ी मान घुट घुट कर जी लेते हैं ...
पर हम मे से ही कुछ विरले ,
सबसे अलग होते हैं ,
अपने दर्द को नया आयाम देते हैं ,
बन कर एक जीवंत उदारहण,
दुनिया को नयी दिशा देते हैं .
कोटि - कोटि है नमन उसे ,
जिसने नया यह मार्ग दिखाया ,
दुखी और हताश ह्रदय को जीने का विश्वास दिलाया...
आदरणीय पूनम जी , आपकी ये रचना बहुत ही अच्छी है , इसको पढकर शरीर में एक आत्म -शक्ति का संचार होता है , इस शानदार रचना के लिए आपका आभार , धन्यवाद
ReplyDeleteshukriya...sanjay ji
Deleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति ! वाकई कुछ लोग जीने की राह दिखा जाते हैं जो हमारी स्मृति में बस जाते हैं |
Deleteबहुत सुन्दर............
ReplyDeleteदर्द में भी ऊर्जावान बने रहना .....वाकई काबिले तारीफ है...
ढेर सी शुभकामनाएं आपके दोस्त को....
और आपको भी..
dhnyawad...ji haa bahut zarurat hae shubkamnao ki ...
Deletejis context mein likha gya hai waqai kabil e tareef hai.
ReplyDeletetnx...
Deleteकोटि - कोटि है नमन उसे ,
ReplyDeleteजिसने नया यह मार्ग दिखाया ,
दुखी और हताश ह्रदय को जीने का विश्वास दिलाया...
BEAUTIFUL INSPIRING LINES.
ReplyDelete♥
आदरणीया पूनम जी
सस्नेहाभिवादन !
आपकी रचना मन भी दुखाती है , प्रेरणा भी देती है …
परमात्मा सबको स्वस्थ-सुखी रखे !
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
husala badhati rachana ,sundar
ReplyDeleteInspirational!
ReplyDeleteआपके दोस्त को बहुत शुभकामनायें!
बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति ! वाकई कुछ लोग जीने की राह दिखा जाते हैं जो हमारी स्मृति में बस जाते हैं |
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