जिंदा हूँ मगर , जिंदगी ढूँढती हूँ |
हैवानों के शहर में , इंसानों को ढूँढती हूँ |
सोने - चाँदी के बाज़ार मे फूलों को ढूँढती हूँ |
बंद घुटती दीवारों में , खुला आकाश ढूँढती हूँ |
काली - भयावह रात में , रोशनी की रसधार ढूँढती हूँ |
बनावटी - खोखली हंसी में , मासूम मुस्कराहट को ढूँढती हूँ |
आधे - अधूरे शब्दों में , संवाद को ढूँढती हूँ |
रुखी - सुखी इस जिंदगी में , प्यार का दीदार ढूँढती हूँ |
हैवानों के शहर में , इंसानों को ढूँढती हूँ |
सोने - चाँदी के बाज़ार मे फूलों को ढूँढती हूँ |
बंद घुटती दीवारों में , खुला आकाश ढूँढती हूँ |
काली - भयावह रात में , रोशनी की रसधार ढूँढती हूँ |
बनावटी - खोखली हंसी में , मासूम मुस्कराहट को ढूँढती हूँ |
आधे - अधूरे शब्दों में , संवाद को ढूँढती हूँ |
रुखी - सुखी इस जिंदगी में , प्यार का दीदार ढूँढती हूँ |
बहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteजाने क्या क्या खोजा.....कुछ तो मिले काश...
अनु
चाह में कुछ खोजने के खुद कहाँ मैं खो गया
ReplyDeleteहैवानों की बस्ती में हर रास्ता कुछ नया नया
DEDICATED TO YOUR LINES.
आधे-अधूरे शब्दों में,संवाद को ढूँढती हूँ
ReplyDeleteरुखी-सुखी इस जिंदगी में, प्यार का दीदार ढूँढती हूँ,,,,,,
सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteयही ढूढना अनवरत चलता रहता है ।
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