Thursday, August 9, 2012

जिंदगी ढूँढती

जिंदा हूँ मगर , जिंदगी ढूँढती हूँ |
हैवानों के शहर में , इंसानों को ढूँढती   हूँ |
सोने - चाँदी के बाज़ार मे फूलों को ढूँढती   हूँ |
बंद घुटती दीवारों में , खुला आकाश ढूँढती   हूँ |
काली - भयावह रात में , रोशनी की रसधार ढूँढती   हूँ |
बनावटी - खोखली हंसी में , मासूम मुस्कराहट को ढूँढती   हूँ |
आधे - अधूरे शब्दों में , संवाद को ढूँढती   हूँ |
रुखी - सुखी इस जिंदगी में , प्यार का दीदार ढूँढती   हूँ |

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर.....
    जाने क्या क्या खोजा.....कुछ तो मिले काश...

    अनु

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  2. चाह में कुछ खोजने के खुद कहाँ मैं खो गया
    हैवानों की बस्ती में हर रास्ता कुछ नया नया

    DEDICATED TO YOUR LINES.

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  3. आधे-अधूरे शब्दों में,संवाद को ढूँढती हूँ
    रुखी-सुखी इस जिंदगी में, प्यार का दीदार ढूँढती हूँ,,,,,,

    सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

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  4. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  5. यही ढूढना अनवरत चलता रहता है ।

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