Friday, July 23, 2010

दोस्ती

दोस्ती
वे सब रहे बरसों साथ - साथ ,
सपने थे अलग - अलग, फिर भी पास - पास |
चल पड़े सब अपनी - अपनी राह ,
किसने जाने क्या -क्या सहा |
कोई चला ,चलता ही गया ,
कोई उठा ,उठता ही गया |
कोई चला कहीं, पहुँचा कहीं,
कोई घूम फिर कर रहा वहीं का वहीं |
किसीको बदलनी पड़ी, अपनी राह ,
कोई चलते -चलते, भटक गया राह |
कुछ के फले, कुछ के बदले ,
अब क्या पूछना तुम कब ,कहाँ निकले |
आज भी एक सिरा है उन्हें है जोड़ रहा ,
यही काफी है , जो भी मिला हँस के मिला |
............

Wednesday, July 21, 2010

yaad

याद है ...
चलते - चलते ...
हम दोनों ...
एक साथ ,
कितने मोड़ , मुड़ जाते थे,
बेमतलब , बेपरवाह ...
चलते - चले जाते थे ...|
मै आज भी उस मोड़ पर खड़ी हूँ ,
तुम प्रिय बहुत दूर निकल गए .............