Monday, February 28, 2011

मेरी कविता है उदास

जैसे ही लिखने को उठाई कलम ,

कविता ने लगाई जोर से फटकार
इतना मच रहा है यहाँ हाहाकार ,
तू बस डूबी है सपने और प्यार
मासूमों पर हो रहा लगातार वार,
गोली - बारूद की गूंजती टंकार
एक देश की आग , अन्यों मे फैली जाती है ,
अमन - चैन की धज्जियाँ उडती जाती हैं
ऐसे में तू कैसे गीत गा सकती है ,
इश्क -मोहब्बत को कैसे सजा सकती है
मिस्र मे फैली आग , पूरी खाड़ी को जलती है ,
दंगे - चीख - चिल्लाहट से दुनिया दहल जाती है
ऐसे में कैसे करे कोई मिलने - मिलाने की बात ,
चाँद - चांदनी और चमकीली - मदहोश रात
इसलिए आज मेरी कलम है दूर ,
और मेरी कविता है उदास .....!!!