Friday, December 27, 2013

सुनो ...सुनो न ...

सुनो , वो नर्म कतरे अपनी साँसो के ,
छोड़े थे जो गर्दन के पीछे ,
ठीक दाएँ कान के नीचे ,
आज भी सुलगते हैं..........................
सुनो , वो नमकीन से बोसे ,
छोड़े थे जो कोरों पर ,
ठीक बाएँ तिल के नीचे ,
आज भी थिरकते हैं ..................
सुनो , वो नाज़ुक सी छुअन ,
कंधे से हौले से सरकती ,
ठीक हथेली की दलहीज तक ,
आज भी झूर झुराती....सिहराती है.....................सुनो ...सुनो न ...