यूं ही चलते - चलते ,
यकायक उंगलिया टकरा गई ,
सनसनासन बिजली सी कौंध गई .....
सकपका कर छिटक गए ,
तुम यूं ही बादलों को घूरने लगे ,
मै बिनमतलब लट सँवारने लगी ......
उस दिन सिर मे दर्द था शायद ,
तुमने कहा सहला दूँ ,
सकुचती सी हल्की सी हामी ,
तुम्हारा वह कुनकुना स्पर्श,
पिघलने लगी , जा पहुंची दूर ,
जहाँ सिर्फ मै और तुम ,
न कोई हैरानी न ही परेशानी ,
न जात न पात न ही आटे -दाल का भाव ,
कब तक यूं ही दिवास्वप्न मे रही डूबी ,
धीमी सी चपत मेरे गाल पर ,
सो गई क्या पगली ....
सकपका , नहीं नहीं बस यूं ही ,
काश ... तुम बस मेरे होते ,
काश ये रिश्ते यूं न उलझे होते ,
तभी गंभीर तुम्हारा स्वर ,
याद है न कल मुझे जाना है ,
नई नौकरी का पहला दिन ,
नई जगह ,नए लोग , तुम तुम
बहुत याद आओगी ?
क्या , मै भी तुम्हें याद आऊँगा ?
टपटपाती दो जोड़ी आंखे,
ओर ठहरा - ठहरा सा समय ,
काश रोक लेती उस पल को ,
बांध लेती तुम्हें तो आज ,
वही उसी मोड पर न लगी होती ये निगाहें ...
न जाने कब से
जमी है .....वहीं की वहीं .....
यकायक उंगलिया टकरा गई ,
सनसनासन बिजली सी कौंध गई .....
सकपका कर छिटक गए ,
तुम यूं ही बादलों को घूरने लगे ,
मै बिनमतलब लट सँवारने लगी ......
उस दिन सिर मे दर्द था शायद ,
तुमने कहा सहला दूँ ,
सकुचती सी हल्की सी हामी ,
तुम्हारा वह कुनकुना स्पर्श,
पिघलने लगी , जा पहुंची दूर ,
जहाँ सिर्फ मै और तुम ,
न कोई हैरानी न ही परेशानी ,
न जात न पात न ही आटे -दाल का भाव ,
कब तक यूं ही दिवास्वप्न मे रही डूबी ,
धीमी सी चपत मेरे गाल पर ,
सो गई क्या पगली ....
सकपका , नहीं नहीं बस यूं ही ,
काश ... तुम बस मेरे होते ,
काश ये रिश्ते यूं न उलझे होते ,
तभी गंभीर तुम्हारा स्वर ,
याद है न कल मुझे जाना है ,
नई नौकरी का पहला दिन ,
नई जगह ,नए लोग , तुम तुम
बहुत याद आओगी ?
क्या , मै भी तुम्हें याद आऊँगा ?
टपटपाती दो जोड़ी आंखे,
ओर ठहरा - ठहरा सा समय ,
काश रोक लेती उस पल को ,
बांध लेती तुम्हें तो आज ,
वही उसी मोड पर न लगी होती ये निगाहें ...
न जाने कब से
जमी है .....वहीं की वहीं .....