पहाड़ी की तलहटी वाला वह कस्बा ,
बहुत अलग था , सबसे अलग ,
उस शहर के ऊपर मंडराया करती ,
तरह -तरह की विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ ।
उस कस्बे की सबसे ऊँची चोटी पर ,
रहता सफ़ेद - लंबी दाड़ी वाला बाबा ,
रस्यमयी - मायावी - चमत्कारी ,
काले से भी काले जादू का मालिक ,
बदल दे मंत्र से किसी को कुछ भी ।
देखा है अक्सर नीले - स्यहा बदन वाली ,
हर आकार - प्रकार की औरतों को ,
शाम के झुटपुटे मे उन घुमावदार रस्तों पे चढ़ते ,
अगले दिन एक और चिड़िया की संख्या बढ़ जाती ,
मुक्त हो जाती उस दर्दनाक जिंदगी से ,
बस नहीं छोड़ पाती अपने कस्बे का मोह ,
इसलिए खुली हवा - धूप मे वहीं मंडराती ।