Friday, February 18, 2011

कपास की तरह

कपास की तरह
कपास की तरह ,
बोया..
उगाया...
सहेजा ...
संवारा ...
चुना....
काता....
बुना.....
सिया....
पहना....
धोया....
कूटा......
निचोड़ा....
झिंझोड़ा ...
फटकार .....
उतारा....
बदला....
गया  हमें ................

Monday, February 14, 2011

जिंदगी का कैनवस

जिंदगी का कैनवस
अपनी जिन्दगी का कैनवस ,
खुद रंगा है |
एक - एक रंग बड़ी हिफाज़त ,
से चुना है |
कई रंग आपस में अच्छी तरह ,
घुलमिल जाते हैं |
कुछ रंग एकाकार हो कर ,
नया रंग दे जाते हैं |
कई रंग लगते ही आपस में ,
जँच नहीं पाते हैं |
कुछ रंगों की कमी अक्सर ,
खल जाती है |
कुछ रंग अन्य सभी रंगों पर ,
हावी हो जाते हैं |
कुछ रंग कितनी ब़ार भी लगाओ ,
खिल नहीं पाते हैं |
कुछ रंग उधार लेकर भी मैनें ,
कभी - कभी  लगाये हैं |
कुछ रंग प्यार से लगाकर ,
फिर मिटाए हैं |
कुछ रंग कितना भी चाह कर ,
भी नहीं लगाये हैं |
कुछ रंग गलती से अनजाने में ,
 जल्दी   में  सजाए हैं |
कई ब़ार तो कैनवस मैंने ,
अधुरा भी छोड़ा है |
कई ब़ार रातों को उठ - उठ कर ,
रंगों को बिखेरा है |
अपनी जिंदगी का कैनवस मैनें खुद रंगा है ..........|


Sunday, February 13, 2011

आज

आज ,


हथेली पर चमकता चाँद ,

पलकों पर हसीन ख्वाब ,

ले चली , तेरी ओर मैं ......

आज ,

नज़रों में तपती रात ,

बाँहों में शीतल चांदनी ,

ले चली , तेरी ओर मैं.....

आज .

होठों पर शोख बिजलियाँ ,

मन में सतरंगी इन्द्रधनुष,

ले चली , तेरी ओर मैं....

आज , आज , आज , आज .....