होठों की हँसी,
आँखों की नमी ,
घुलमिल कर एक हुई |
तुम्हारे आने से ,
मेरे होने की पहचान परिपूर्ण हुई |
तुम में अपने को खो कर ,
आज मैं सम्पूर्ण हुई |
इति ...
जीवित
है बस एक एहसास ,
मैं हूँ
सिर्फ एक आधार ......
बेटी ….पत्नी …..जननी ...या .......साधारण इंसान ?
अस्तिव की
पहचान .........
खोखलापन ….वेदना ….अहम् …