Thursday, November 4, 2010

achank

कुछ देर साथ चले ,
गए फिर बिछुड़ ,
मन की तख्ती से पोंछ दिया नाम |
न था कोई संवाद ,
न ही कोई अहसास |
फिर अचानक ,
एक दिन ,
हज़ारों की भीड़ में ,
दिख पड़े .....
लहक गयी अग्निरेखा ,
कम्पन हुआ घने बादलों मे ,
और
रोशन  हुआ  
दिल का कोना - कोना ..........

Wednesday, November 3, 2010

Diwali

इस बरस हो ऐसी दिवाली ,
न हो कोई भी झोली खाली ,
खिल जाये उम्मीदों की डाली - डाली |
पूरी हो सबके मन की आशा ,
दुःख-दर्द मिटे ,दूर हो निराशा |
भेद -भाव की मिट जाये खाई ,
मिल जाये आपस मे भाई - भाई |
खुली आँखों में जले सपने सी बाती,
हर किसीको मिले मनचाहा साथी |
अपनेपन का दिया जले हर आंगन,
इस बरस दिवाली हो सबकी मनभावन ||