Friday, September 28, 2012

शकुंतला सा ही रहा होगा प्यार मेरा



शकुंतला सा ही रहा होगा प्यार मेरा ,
तभी तो दुष्यंत सा तू भूल गया ..
नहीं दिखाने को कोई भी निशानी ,
जो तूने कभी छोड़ी ही नहीं ...

क्या दिखाती तुझे ,
पलकों पर ठहरे सपने ,
याद है मिल कर ही देखे थे ...

हवा में तैरते बोसे ,
छिप -छुपा तू ने ही बरसाए ,
याद है न वह मीठी शरारते ..

वो मन की चादर पे ,
तेरे स्पर्श की लकीरें ,
याद है न अनजाने ही छूट गयी तुझ से ...

ऐसा क्या है जो ,
फिर से वही वक़्त वापस दिला दे ,
बांध मुट्ठी मे चाँद , करे चांदनी  से बातें ,
न तुझे  कोई जल्दी न मुझ पे कोई पाबन्दी ....


Wednesday, September 26, 2012

तुम्हारी याद

जब भी सोचती हूँ तुम्हें ,
उभर आता है नीला आकाश ,
ऊँची - ऊँची चोटियाँ,
कल - कल बहती नदी ,
लम्बे - घने पेड़ ,
काली- स्यहा चट्टानें ,
और 
एक पुराना मंदिर |
जहाँ बरसों से ,
कोई दिया न जला ,
परिंदा न गया ,
न घंटी, न धूप |
आओ हम - तुम मिल कर ,
धर दे देहरी पर ,
दीपक एक जलता हुआ ,
प्रतीक तेरे - मेरे एक होने का |

Monday, September 24, 2012

यूं ही करूँ छेड़- छाड़

तुझे तो ढंग से रूठना भी नहीं आता ,
होंठ कुछ और आंखे कुछ और ही बयां करती है॥ ---- ----- ---- ------ ---जा - जा पहले सीख के आ हुनर मनाने का ,मै भी फिर रूठना सीख लूँगी ॥------- ------- ----- ----- मुझसे न होवे यह मान मनोव्वल की बतिया ,मिलना हो तो मिल वरना हो चली रतिया ॥ ----- ---- ----- ----- ----- ---- ---- कितना निष्ठुर - निर्मम है रे तेरा मन ,मै ही ठहरी नादां ,जो करूँ तोसे मिलन की आस ॥
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हाय! तू क्या जाने बावरी कसक म्हारे जिया की ,
बिलखे - तड़पे थारे वास्ते दिन रात ॥
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अच्छा जी ! फिर काहे न करे है जतन ,
न ही करे प्रेम- मोहब्बत की बात ॥
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जब तमक जावे है तू ,चमके तोरे गाल ,
कितती प्यारी लागे है , इसलिए
 
यूं ही करूँ छेड़- छाड़ ॥