Friday, October 28, 2011

daan maen mila saaman

मैं सिर्फ एक चेहरा नहीं , जो सिर्फ सजाया जाये.... ..
मैं कोई मोहरा नहीं, जो सिर्फ बिसात पर चलाया जाये....
हसरत नहीं सिर्फ चाहत नहीं ,सदाओं पर कोई पहरा नहीं ..
एक रिश्ता नहीं सिर्फ तेरी जायदाद नहीं ,इंसा हु पुतला नहीं....
दिल टूट जाये ,रूह बिखर जाये ,सब बाकी बेजान रह जाये....
खोलो आँखें और करलो पहचान ,मैं दान मैं मिला सामान नहीं 

Monday, October 24, 2011

अपनी दिवाली


दिवाली के बाद का दिन कितना अच्छा होता है ,
सुबह - सवेरे निकल जाते हैं गली - मोहल्ले में ,
मिल जाते हैं कितने ही अधजले अनार ,पटाखे ,
स्याह - बुझी तीली से सटी कुछ फुलझड़ी ,
या कुछ अनफूटे - साबुत चकरी या बम ,
जूठन के ढेर में बची - खुची मिठाई ,
खील- बताशे , बर्फी या लड्डू एकाध ,
पार साल तो चली थी हवा बेशुमार ,
पा गए थे पूरा तेल और दिए अपार,
अम्मा ने भी तली थी पूरी- कचोरी और,
हमने जलाई थी रंग- बिरंगे दीपों की कतार,
खूब जम के होती है दिवाली हर बार ,
अपनी बस्ती भी करती है हुल्लड़ ,
दिवाली के बाद ..........हर बार ...............!!!!!