Thursday, August 4, 2011

hakikat

भुलाने की लाख कोशिश में ,
तू हर पल याद आता है |
दिन तो गुज़र जाता है मसरूफियत में ,
शाम होते ही चिरागे मोहब्बत जल जाता है |
माना कि तू है एक सतरंगी ख्वाब ,
हर रात हकीकत क्यों बन जाता है |.

Sunday, July 31, 2011

अबकी तीज

पिछली बार की तरह इस बार भी नहीं आ पाऊँगी ,
अम्मा कह देना ......
झूले की पेंग से , महावर की चमक  से ,
ढोलक की थाप से ,सावन के गीत से ,
तुलसी के चौरे  से ,आम की बौर से ,
मेहँदी की महक से , चूड़ी की खनक से ,
मेघ से - मल्हार से , गुड्डे और गुडिया से ,
पड़ोस की रधिया ताई से  , रामदीन हलवाई से ,
बचपन की सखी - सहेलियों से , भाभी -बहना से ,
हर दीवार-  कोने से , मोहल्ले के हर दरवाज़े से ,
बिट्टो तुम्हारी बहुत दूर है ,
जिम्मेवारी से भरपूर है ,
आसान  नहीं इत्ती दूर का आना ,
बच्चों की पढाई , घर की रसोई ,
रोज़ के काम , मेहमानों का आना - जाना ,
अगली बार शायद .......... आ जाये ....
अम्मा ज़रूर कह देना .............