कल रात अलगनी पर लटकते चाँद को ,
गिरने से बचा लिया उसने ,
हौले से उठा हाथों मे ,
उछाल दिया आसमां मे,
चाँद बन गया आशिक उसका ,
उसकी याद मे घटने लगा ,
पर जब देखी छाप उसकी ,
जिस्म पर अपने इठला के ,
बढ़ने लगा ......
कहते है तब से ,
याद मे उसकी घटता औ बढ़ता है ,मजनू दीवाना..
गिरने से बचा लिया उसने ,
हौले से उठा हाथों मे ,
उछाल दिया आसमां मे,
चाँद बन गया आशिक उसका ,
उसकी याद मे घटने लगा ,
पर जब देखी छाप उसकी ,
जिस्म पर अपने इठला के ,
बढ़ने लगा ......
कहते है तब से ,
याद मे उसकी घटता औ बढ़ता है ,मजनू दीवाना..