Tuesday, February 1, 2011

तुम्हारी तस्वीर , तुम्हारा रंग

निकालो अपने -अपने रंग ,
भर  डालो यह तस्वीर |
पर आपने बताया ही नहीं ,
कौन सा रंग कहाँ भरूं ?
जो भी , जैसा भी तुम्हें हो पसंद ,
यह है तुम्हारी तस्वीर , तुम्हारी छवि ...
आँखों में थी हैरत , और अधरों पर मुस्कान ,

आकाश में नीला भरूँ या पीला ?
तुम्हें दिखता हो वैसा ,
मुझे तो पीला दिखता है ,
माँ के लहराते आँचल जैसा ,
तो वही भरो , क्योंकि यह तुम्हारा है आकाश |

ज़मीं में हरा भरूँ या नीला ?
तुम्हें दिखती हो वैसी  ,
मुझे तो नीली  दिखती  है ,
पापा की गहरी नीली आँखों जैसी ,
तो वही भरो , क्योंकि यह तुम्हारी है ज़मीं |

नदी में सफ़ेद भरूँ गुलाबी ?
तुम्हें दिखती हो वैसी ,
मुझे तो गुलाबी दिखती है ,
दीदी की खनकती हँसी जैसी ,
तो वही भरो , क्योंकि यह तुम्हारी है नदी |

सूरज में सुनहरा भरूँ या भूरा ?
तुम्हें दिखता हो वैसा ,
मुझे तो भूरा दिखता है ,
दादी के बनाऐ गरम परांठे जैसा ,
तो वही भरो , क्योंकि यह तुम्हारा है सूरज |

घर में लाल भरूँ या सतरंगी ?
तुम्हें दिखता हो वैसा ,
मुझे तो सतरंगी दिखता है ,
दादाजी के सुनाये गुदगुदाते किस्सों जैसा ,
तो वही भरो , क्योंकि यह तुम्हारा है घर |

निखर कर आई ,
अनोखी तस्वीर ,
चटक , अलग ,
पर बिलकुल अपनी ...............


Monday, January 31, 2011

डर

डर ............
डर का है राज़ चारों ओर ,
डर ही जोड़े सम्बन्ध ..
डर ही बिगड़े सम्बन्ध |
डर ही दिलाये उपलब्धि ,
डर ही गिराए उपलब्धि |
डर ही पहुँचाये आकाश ,
डर ही  दिखाये पाताल |
डर ही सजाये ऊँचे सपने ,
डर ही बिखेरे ऊँचे सपने |
डर ही चलाये दुनियादारी ,
डर ही तोड़े दुनियादारी |
हारने का डर दिलाये जीत,
जीतने का डर कराये हार |

tufaan

ठंडी हवा के झोंके सा, गुज़र गया वो ,


पल भर को ठिकठा,नयन भर देखा ,

बर्फानी तुफानी सा झिंझोड़ गया वो ,

कह गया बस हल्के - से जाते - जाते,

अब तेरा हो गया मैं...तेरा हो गया मैं .....