Wednesday, February 27, 2013

वह अलग सा कस्बा




पहाड़ी की तलहटी वाला वह कस्बा ,
बहुत अलग था , सबसे अलग ,
उस शहर के ऊपर मंडराया करती ,
तरह -तरह की विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ ।

उस कस्बे की सबसे ऊँची चोटी पर ,
रहता सफ़ेद - लंबी दाड़ी वाला बाबा ,
रस्यमयी - मायावी  -  चमत्कारी ,
काले से भी काले  जादू का मालिक ,
बदल दे मंत्र से किसी को कुछ भी ।

देखा है अक्सर नीले - स्यहा बदन वाली ,
हर आकार - प्रकार की औरतों को ,
शाम के झुटपुटे मे उन घुमावदार रस्तों पे चढ़ते ,
अगले दिन एक और चिड़िया की संख्या बढ़ जाती ,
मुक्त हो जाती उस दर्दनाक जिंदगी से ,
बस नहीं छोड़ पाती अपने कस्बे का मोह ,
इसलिए खुली हवा - धूप मे वहीं मंडराती ।

5 comments:

  1. tensionless hota hai aisa kaswa prakriti ...khushiya bina maange hi deti hai .....

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  2. प्रकृति से जुड़कर रहने से शांति का एहसास होता है
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  3. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

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  4. बेहतरीन.......ये कुछ समझ नहीं पाया -

    शाम के झुटपुटे मे उन घुमावदार रस्तों पे चढ़ते ,
    अगले दिन एक और चिड़िया की संख्या बढ़ जाती ,

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