Monday, February 28, 2011

मेरी कविता है उदास

जैसे ही लिखने को उठाई कलम ,

कविता ने लगाई जोर से फटकार
इतना मच रहा है यहाँ हाहाकार ,
तू बस डूबी है सपने और प्यार
मासूमों पर हो रहा लगातार वार,
गोली - बारूद की गूंजती टंकार
एक देश की आग , अन्यों मे फैली जाती है ,
अमन - चैन की धज्जियाँ उडती जाती हैं
ऐसे में तू कैसे गीत गा सकती है ,
इश्क -मोहब्बत को कैसे सजा सकती है
मिस्र मे फैली आग , पूरी खाड़ी को जलती है ,
दंगे - चीख - चिल्लाहट से दुनिया दहल जाती है
ऐसे में कैसे करे कोई मिलने - मिलाने की बात ,
चाँद - चांदनी और चमकीली - मदहोश रात
इसलिए आज मेरी कलम है दूर ,
और मेरी कविता है उदास .....!!!



7 comments:

  1. hahakaar to hai her pal her ghadi ... to n likhun pyaar , sunti rahun hahakaar , zindagi ke is ehsaas se rah jaun door .... bolo kavita , tu bhi to hai udaas

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  2. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द ...।

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  3. वाह...पूनम जी.....बहुत सुन्दर बहुत गहरी अभिव्यक्ति है......कडवा सच बयां करती पोस्ट|

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  4. आदरणीया पूनम जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    आज मेरी कलम है दूर ,
    और मेरी कविता है उदास ……!!!

    ठीक है , चारों ओर परिस्थितियां प्रतिकूल हैं , माहौल ख़राब है … लेकिन उस परमात्मा को भी इस तरह दुनिया को अपने हाल पर नहीं छोड़ देना चाहिए न !

    हाऽऽ ह… :)

    गंभीर हो जाते हैं …

    कवि को संवेदनशील होना ही चाहिए …

    बहुत सहज भाव से लिखी सुंदर भावनाएं समेटे हुए उत्कृष्ट रचना के लिए आभार !

    महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  5. kitni pyaari kavita hai, kitni shakti hai teri shabdon mein.. tere masoom chehre aur khilkhilati hasee ke peeche ek itna gambhir kavi chupa hoga, yeh maine nahi socha tha.............. i am proud of you poonam
    Vijaya

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