कैसी है यह होली ?
सुनामी का है प्रहार ,
बमों की है बौछार ,
इन्सान ही इनसान से ,
खून भरी खेल रहा होली |
डर - आतंक के साये में,
सहमे - सहमे हैं जन |
बारूद - घृणा की गंध है फैली ,
जल रहे है देश- तड़पे हैं मन |
क्यों नहीं रंगों की तरह ,
हम भी आपस में मिल जाते |
प्रेम , भाईचारे , सदभावना
के सन्देश हवा में घुल जाते |
phir bhi hai holi , bhukh aur bahaar ....
ReplyDeleteशुभ सन्देश देती पोस्ट .......सुन्दर |
ReplyDeleteक्यों नहीं रंगों की तरह ,
ReplyDeleteहम भी आपस में मिल जाते |
प्रेम , भाईचारे , सदभावना
के सन्देश हवा में घुल जाते |
होली पर दिया गया यह सन्देश बहुत सुन्दर पूनम जी -बधाई हो काश ये सब सच हो जाये
सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५
shukriyaa..
ReplyDelete