कब तक रहोगे ख्वाब की तरह ,
कभी तो सामने आओ हकीकत की तरह |
कब तक रहोगे दूर सितारे की तरह ,
कभी तो मिलो बहती हवाओ की तरह |
कब तक रहोगे पलकों में नमी की तरह ,
कभी तो छलको रेशमी बूंदों की तरह |
कब रहोगे एक गूढ़ सवाल की तरह ,
कभी तो आओ सुलझे जवाब की तरह |
बहुत खूब
ReplyDeleteकब तक रहोगे पलकों में नमी की तरह ,
कभी तो छलको रेशमी बूंदों की तरह |
वाह वाह
बहुत खूब....प्रशंसनीय .....
ReplyDelete"कब रहोगे एक गूढ़ सवाल की तरह ,
ReplyDeleteकभी तो आओ सुलझे जवाब की तरह |"
और कुछ सवाल
जिन्दगी भर सवाल की तरह ही रह जाते हैं
बस एक ईश्वर है
जो सवाल की तरह आता है
और....
जब सुलझता है तो
हमेशा के लिए सब कुछ
सुलझा भी जाता है...!
वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
ReplyDeletesahi kaha punam ji....
ReplyDeleteक्या बात है पूनम जी,वाह.
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