Saturday, April 16, 2011

sapne

सपने सभी देखते हैं ,
कुछ सुबह होते ही ....
ओस की बूंद से पल में  ....
आँखों से धुल जाते हैं |
कुछ कोरों मे अटके ....
किरकिरी सी बन.....
पूरा दिन सताते हैं |
कुछ जुगनू की तरह ...
हरदम टिमटिमाते हैं ...
हौले - हौले से गुदगुदाते हैं |

5 comments:

  1. कुछ जुगनू की तरह ...
    हरदम टिमटिमाते हैं ...
    हौले - हौले से गुदगुदाते हैं

    बहुत खूब .
    बहुत ही खूब.

    एक मुआफी भी मांगनी है आपसे.

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  2. Shukriya......I didn't understand muhafi for what..?

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  3. ...शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

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  4. पूनम जी,

    सपनो को शानदार अभिव्यक्ति दी है आपने.....सुन्दर.....

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  5. khoobsoorat se sapne...
    kuchh gungunaate..
    kuchh muskrate....!!

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