Monday, May 16, 2011

पहली बार

पहली बार ऐसा हुआ है ,
हवा ने हल्के से छुआ है |
चरमराते सूखे पत्तो में भी ,
हो रहा संगीत का एहसास |
चिलचिलाती संगीन धूप भी ,
बन गयी मधुमयी शाम ख़ास  |
हल्की - तेज़ रिमझिम सी  बूंदें ,
करा रही  तेरी छुअन का आभास |
उड़ाती हुई यह गर्द धूल भी ,
आलिंगन बन  गयी आस - पास |
पहली बार ऐसा हुआ है ,
हवा ,धूप , बूंदे सब छू गई एक साथ ..
पहली बार ....पहली बार ...!!!!





6 comments:

  1. जब पहली बार होत है तो ऐसा ही होता है

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  2. जब पहली बार प्रेम आपको छूता है तब ऐसा ही होता है...शानदार अभिव्यक्ति.....

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  3. एक एहसास..

    किसी के प्यार का..

    न जाने कितनी अनुभूति दे जाता है !!

    खूबसूरत !!

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  4. एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !

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  5. दिल को छू गयी आपकी नज़्म.

    बहुत खूब

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