एक बार फिर ....
फिर दहली धमाकों से दिल्ली ,
फिर लग गया रेड अर्लट सडकों पर ,
फिर मारी गई मासूम जनता बिचारी |
हो रही सत्ता के गलियारों में ,
आरोपों - प्रत्यारोपों की बौछार |
आखिर ऐसा क्यों होता है बार -बार ,
इतने बड़े शक्तिशाली तंत्र की ,
हर बार उड़ जाती हैं धजिय्याँ |
अपनी ही परछाई से सहमा है जन ,
डरी-डरी सूरतें ,हर आंख हैं नम |
एक बार फिर कायर माँ को रौंद गए ,
हमारे सयंम को झंकार गए |
कब तक आखिर --- कब तक ...
बंद करो यह मरने - मारने का व्यापार..
बंद करो यह अत्याचार ..बंद करो ....अब बस बंद करो .......
यहाँ सिर्फ लोग बाते ही बनाते रह जाते हैं..........पहले जिन्हें पकड़ा गया है वही अभी तक मेहमान बने हुए हैं|
ReplyDeleteकल 09/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सही कहा है बढ़िया रचना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति , आभार
ReplyDeleteसही कहा अब बहुत हो गया इस चीज़ का अंत होना ही चाहिए
ReplyDeleteजिनको जिम्मेदारी सौंपी है, वो अपना घर भरने में मस्त है !!
ReplyDeleteजनता का दबाव बनाना होगा !!
अमेरिका की तरह भारत में भी हर नागरिक को सेना का प्रशिक्षण मिलना चाहिए |
visit :
http://sahitya-varidhi-sudhakar.blogspot.com
shukriyaa...
ReplyDeletebahut sunder ,marmik bhav .............
ReplyDeleteये समस्या बडती जा रही है ,... जिनपे जिम्मेदारी है वो सो रहे हैं ...
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