Sunday, September 30, 2012

सपनों का ताजमहल



अम्मा - अम्मा हम भी देखेंगे ताज ,
आज पढ़ा हमने कक्षा मे पाठ ,
दुनिया मे मशहूर अजूबा है,
बनवाया था राजा ने ,
करता था अपनी रानी को ,

बेहिन्तहा- बेपनाह प्यार ॥
अम्मा , सकपकाई ,
दाल मे और पानी मिलती, बोली ,
हाँ - हाँ , आने दे बापू को ज़रा ,
वक़्त देख करूंगी बात ॥ 
मुन्ना खुशी से गया झूम ,
पी गया सपर - सपर,
पनीली - सी फीकी दाल ॥
रात भर देखे सपने मे ताज ,
सुबह उठ ,भागा - अम्मा के पास ,
सूजी आँख , नीला शरीर देख ,
सहम गया , धीरे से बोला ,
अम्मा ,नहीं देखना हमको कोई ताज ,
कल देखा था सपने मे ,
लगा नही कुछ खास ,
पता नहीं लोगो को ,
कैसा है भूत सवार,
जीते जी तू पूछे नहीं ,

मरते ही करने लगते है प्यार ॥

5 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  2. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति सपने संग सपने

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  3. पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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