Monday, May 20, 2013

माँ का नाम

दरवाजे पर खट- खट ,
मुन्नू बोला कौन ?
श्रीमती लीलावती है क्या ?
जी नहीं ...... यहाँ नही कोई इस नाम से ... 
जिला बुलंदशहर , बाबूलाल की बेटी ?
नही ,कहा न यहाँ कोई नहीं ....
अच्छा - अच्छा .... सिर खुजाता अजनबी बुदबुदाया .... 
पता तो यही बताया था .... 
मुन्नू भी सोचे हाँ कुछ सुना - सुना -सा , 
तभी पीछे से माँ की आवाज़ ,
जी हाँ ! है । मेरा ही नाम है यह ।
आप कौन ?
माँ , अजनबी से कर रही बातें ,
मुन्नू मूर्खों सा सोच रहा ,
पर माँ तो माँ होती है ,
क्या उसका भी होता है कोई नाम ?
अगर है तो ...सुना क्यों नही आज तक ?
जिज्जी, बहू , ताई, चाची , बुआ ,मौसी या मामी...
कभी न सोचा माँ का नाम ,
माँ का पकड़ पल्लू ... खींच बोला......
माँ तुमने कभी क्यों नहीं बताया ?
गहरी श्वास , हल्की सी चपत ,
हमका भो कौन याद रही .....चल छोड़ अब पल्लू ...
बहुत काम रही ....
मुन्नू खड़ा अवाक......
अब से रखूँगा याद , औरों को भी कराऊँगा याद बार बार .............

11 comments:

  1. आपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

    ReplyDelete
  2. Maa Tujhe Pranaam, sundar aur behtreen rachna , AAPKI SABHI RACHNAAYEN SOCHNE PAR MAJBOOR KARTI HAIN

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब ...
    माँ का ना जो नहीं होता माँ होने के बाद ...

    ReplyDelete
  4. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज ३० मई, २०१३, बृहस्पतिवार के ब्लॉग बुलेटिन - जीवन के कुछ सत्य अनुभव पर लिंक किया है | बहुत बहुत बधाई |

    ReplyDelete
  5. इतनी गंभीर बात को आपने अपनी कविता में कितने सहज भाव से कह दिया, आप वास्तव में बधाई की पात्र हैं, सुन्दर रचना !
    chitranshsoul.blogspot.com

    ReplyDelete